Research: क्या जानवरों को पहले से हो जाती है भूकंप आने की आहट? जानिए इस बारे में क्या कहती है रिसर्च
भूकंप कब और कहां आने वाला है, इसका सटीक अंदाजा आज भी किसी रिसर्च से नहीं लगाया जा सका है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि जानवरों को भूकंप की आहट का पता पहले से चल जाता है. ऐसा क्यों होता है, जानिए क्या कहती है रिसर्च.
इंसान अपनी तमाम रिसर्च से भी जिस बात का पता नहीं लगा पाएं, उसका पता आसानी से जानवर लगा सकते हैं.
इंसान अपनी तमाम रिसर्च से भी जिस बात का पता नहीं लगा पाएं, उसका पता आसानी से जानवर लगा सकते हैं.
भूकंप एक ऐसी आपदा है, जो अचानक से आती है. इसका पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. भूकंप जैसी आपदा से बचने के लिए तमाम तैयारियां तो पहले से की जा सकती हैं, लेकिन ये नहीं बताया जा सकता कि भूकंप कहां और कब आएगा. यही वजह है कि जापान जैसा विकसित देश जो अक्सर भूकंप से प्रभावित होता है, वहां बचाव के लिए घरों को इस तरह से बनाया जाता है कि भूकंप आने पर अगर कोई तबाही हो तो आसानी से घर का निर्माण किया जा सके, लेकिन वहां भी किसी को ये अनुमान नहीं होता कि भूकंप कब आ जाएगा.
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसान अपनी तमाम रिसर्च से भी जिस बात का पता नहीं लगा पाएं, उसका पता आसानी से जानवर लगा सकते हैं. जानवरों को भूकंप आने से पहले ही इसकी आहट हो जाती है और उनमें बेचैनी बढ़ जाती है. ये बात रिसर्च में भी सामने आ चुकी है. जानिए क्या कहती है रिसर्च?
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर की रिसर्च
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर इसका पता लगाने के लिए बाकायदा एक रिसर्च कर चुका है. रिसर्च के दौरान जानवरों को उन जगहों पर छोड़ा गया, जो अक्सर भूकंप से प्रभावित होते हैं. इन जानवरों के शरीर पर एक्सीलरोमीटर लगाए गए थे. कई महीनों तक जानवरों उनकी एक्टिविटी पर नजर रखी गई. रिसर्च के इन महीनों के दौरान तकरीबन 18000 भूकंप आए लेकिन उनमें से 12 भूकंप ऐसे थे जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 या उससे ज्यादा दर्ज की गई. रिसर्च में सामने आया कि भूकंप आने से कुछ घंटे पहले ही जानवरों को बेचैनी होने लगती है. इन जानवरों ने 28 किलोमीटर के दायरे में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया था. भूकंप आने से पहले जानवर अपने रहने की जगहों, पक्षी अपने घोसलों और पालतू जानवर अपने बाड़ों से बाहर आ जाते हैं और उनका व्यवहार असामान्य हो जाता है.
रिसर्च में क्या पाया गया
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इस रिसर्च के बाद शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया कि भूकंप आने से पहले पत्थरों पर दबाव पड़ने से जो आयोडाइजेशन होता है, जानवर उसे अपनी त्वचा और फर से समझ लेते हैं. इसके अलावा भूकंप से पहले क्वार्ट्ज क्रिस्टल से निकलने वाली गैसों को भी कुछ जानवर सूंघने में सक्षम होते हैं. ऐसे में उन्हें इस बात का पहले से अहसास हो जाता है कि कुछ अनहोनी होने वाली है. यही वजह है कि भूकंप आने से कुछ समय पहले ही जानवरों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है और वो बेचैन होने लगते हैं. हालांकि जानवरों की किस गतिविधि का क्या मतलब निकाला जाए और कितने घंटे पहले उसे वार्निंग माना जाए, ये जानने के लिए रिसर्च करने की जरूरत है.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस मामले में वेटनरी एक्सपर्ट ए. के. त्रिवेदी का कहना है कि भूकंप आने से पहले जमीन के अंदर जो हलचल होती है, उसे आम लोग नहीं सुन सकते. लेकिन जानवरों की सुनने और महसूस करने की क्षमता काफी ज्यादा होती है. वे उस हलचल और कंपन को पहले से पकड़ लेते हैं. चूंकि वो अपनी बात को कह नहीं सकते, इस कारण उनके स्वभाव में बदलाव आ जाता है और बेचैन होकर इधर-उधर भागने लगते हैं या कोई और असामान्य व्यवहार करते हैं.
09:55 AM IST